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बुधवार, 31 दिसंबर 2014

मेरा नववर्ष और 2014 का विश्लेषण

2014 थोड़े समय बाद ही अपने साथ कई खट्टी मिट्ठी यादें लेकर विदा हो जायेगा ये वर्ष मेरे जीवन का क्रांतिकारी वर्ष रहा जनवरी की शुरु में एक छोटे से जिले बस्ती (उत्तर प्रदेश) से शुरू हुआ सफर ने धीरे धीरे चलते हुए देश की राजधानी दिल्ली में आकर पड़ाव डाला अनगिनत मुश्किलों ने रास्ता रोकने की कोशिश की लेकिन असंख्य सहयोग के हाथ उठ गए उन मुश्किलो से बचाने के लिए 28 मई 2014 को अयोध्या से निकल पड़ा था दिल्ली की ओर विकलांग अधिकार यात्रा लेकर तब साथ में थे केवल सहयोगी के रूप में एक अभिन्न साथी अमर शर्मा और एक मोटरसाइकिल जिससे पूरे डेढ़ माह तक करीब 1800 km का सफर तय किया गया मित्रो लखनऊ उन्नाव बुंदेलखंड जालौन झाँसी कानपूर आगरा एटा इटावा कोंच मैनपुरी फरुखाबाद मथुरा आगरा सिकन्दराबाद नोयडा गाजियाबाद होते हुए 15 जुलाई को दिल्ली पहुँचते पहुचँते हज़ारो मित्र साथ जुड़ चुके थे यात्रा के दौरान Deepak Sharma Vishwakarma Narendra Agrawal Ved Prakash Sharma Ankit Vishwakarma JyotishAbvm UP का भरपूर सहयोग मिला दिल्ली आने पर श्री अरुण राय जी द्वारा आवास की समस्या का उचित समाधान किया गया परन्तु दिल्ली आकर शांत बैठ जाना उचित नही लगा कुछ समय विश्राम के बाद पुनः नई ऊर्जा के साथ 28 सितम्बर 2014 को जंतर मंतर पर विकलांग/विशेष शिक्षक पंचायत का आयोजन किया गया इस पंचायत के आयोजन में Sonu Bhola Iedspecial Teachear Sangh Pt Vikas Sharma K K Dixit Gr Pradeep Raj Vijay Kumar Parveen RanaShivkesh Tiwari जी का भरपूर सहयोग मिला परन्तु पंचायत की कम संख्या और कुछ निराशा वादी बातो नें थोडा हताश कर दिया था उसी पंचायत में आये Hector Ravinder Dutt जी से बात हुई उसके बाद तो जैसे निराशा कोसो दूर भाग गयी बस फिर क्या था जैसे हौसलो को पंख लग गए सगंठन खड़ा होने लगा और बहुत उम्दा तरीके से बढ़ने लगा फिर शुरू हुआ अच्छे और काबिल मित्रो का साथ मिलना जिसमे Dinesh ChanderTushar Bhalerao Jagdish Gadhavi Baswaraj Paike Sandeep Arora Kodakkal ShivaprasadMahesh Angadi DrAjaypal Singh KansanaMohammad Uved Muazzam Avinash Tripathi आदि शामिल थे और ASEAP के साथ मिलकर NPDRD को आगे ले जाने का क्रम शुरू हो गया दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारणी की सभा की गयी कई प्रदेश के प्रतिनिधियो ने इसमें भाग लिया सामाजिक कार्य की इस कड़ी में Balraj Vishnoi Amruth Reddy Jitendra Kumar Biswal Rajnish Kumar Arya Roli Tiwari Mishra Kalpagiri Sreenu Arun SarafRohit Choudhary Praveen Choudhary TigerPragya Pathak Sharma Sanjay Pratap Jaiswal Mla जैसे महानुभावो से काफी कुछ सीखने को मिला 3 दिसम्बर को विकलांग दिवस पर विकलांगजनो पर हुए अमानवीय कृत्य की निंदा के साथ 10 दिसम्बर को विरोध दिवस मनाने के आह्वान का व्यापक असर दिखाई दिया सैकड़ो साथियो ने अपनी फेसबुक और व्हाट्सअप प्रोफाइल फ़ोटो को एक दिन के लिए काला किया और हज़ारो मित्रो ने ज़मीन पर विरोध प्रदर्शन किया इसी बीच मथुरा और इटावा जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ मथुरा मेंChoudhary Vpsingh मित्र ने जैसा स्वागत सत्कार किया वो याद कर के आज भी मन रोमांचित हो जाता है इटावा में भी विकलांगजनो के अधिकार की बात उठाने का मौका मिला इस बीच स्वास्थ कुछ ख़राब हुआ मित्रो ने जिस तरह से अपनेपन के साथ हालचाल पूछा और सलाह दी उससे मन अत्यंत हर्ष से भर गया कुछ और मित्रो की चर्चा न करू तो बात अधूरी रह जायेगी उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यमंत्री भाई Abbas Ali Zaidi Rushdi का आशिर्वाद हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बना रहा और उनके द्वारा शुरू की गयी प्रतियोगिता ने दिल जीत लिया इसी तरह महिला मित्र का आशीर्वाद स्नेह और मार्गदर्शन भी मिलता रहा और इस पुरे अभियान में मेरे साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कर चलती रही मेरी जीवनसंगनी Jyoti Sharma जिनके साथ के वगैर एक पग चलना भी मुमकिन नही था 
जिन मित्रो का जिक्र छूट गया है वो सब मेरे दिल में हैं अनमोल हीरे की तरह 
बस इतनी सी चाह है अपना प्यार आशीर्वाद अपनापन 2015 में भी बनाये रखे और वादा है आप सभी से सदैव अपना 100% दूंगा 
आप का साथ घडी घडी हरबार मिलता रहे
विश्वास बना रहे एतबार मिलता रहे 
नहीं चाहिए कुछ भी ये ख़ुदा तुझसे 
बस मुझे मेरे अपनों का प्यार मिलता रहे 
देव शर्मा

नये साल का अभिनन्दन है

नये साल का अभिनन्दन है...
नये साल का स्वागत करके, नूतन आस जगाने दो।
कल क्या होगा, कौन जानता, मन की प्यास बुझाने दो।

क्या खोया, क्या पाया कल तक, अनुभव के संग ज्ञान यही।
इसी ज्ञान से कल हो रौशन, यह विश्वास बढ़ाने दो।

जो न सोचा, हो जाता है, नहीं हारते वीर कभी।
सच्ची कोशिश, प्रतिफल अच्छा, बातें ख़ास बताने दो।

कल आयेगा, बीता कल भी, नहीं किसी पर वश अपना।
अपने वश में वर्तमान बस, यह आभास कराने दो।

जितने काँटे मिले सुमन को, बढ़ती है उतनी खुशबू।
खुद का परिचय संघर्षों से, यह एहसास कराने दो।

बुधवार, 10 दिसंबर 2014

विरोध दिवस क्यों

जयहिंद सबसे पहले उन सभी महानुभाव का अभिनन्दन जिन्होंने परोक्ष या अपरोक्ष रूप से आज विरोध दिवस में भाग लिया और कई स्थानों पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन करके ज्ञापन दिए कुछ जगह आज मानवाधिकार दिवस पर विकलांगजनो के अधिकारो के हनन पर अपनी बात रख कर मजबूती प्रदान की गयी मित्रो आज के विरोध दिवस का औचित्य क्या था पहले ये स्पष्ट कर लिया जाय मित्रो विकलांग दिवस के दिन ही भारत देश के विभिन्न हिस्सों में विकलांग जनो के साथ अमानवीय अत्याचार किये गए जिसका विरोध करने के लिए विकलांग जनो की आवाज को मजबूती देने के लिए इस विरोध दिवस का आयोजन किया गया था हम सभी अपने मकसद में कामयाब रहे जहाँ फेसबुक पर अधिकतर विकलांग मित्रो ने अपनी प्रोफाइल पर black बैनर लगा कर विरोध जताया वही कई स्थानों पर प्रदर्शन करके ज्ञापन दिया गया मित्रो कुछ लोगो को लगा इससे क्या होगा दोस्तों कोई भी क्रांति ऐसे नही आती कई छोटे छोटे चरणबद्ध कार्यो के बाद एक महान क्रांति होती है ये विरोध प्रदर्शन तो क्रांति के हवन में आहुति है और तैयारी भी अब समय नजदीक है विकलांगजन अपने अधिकारो के प्राप्ति के लिए निर्णायक अभियान के दौर में है हमें बहुत सावधान रहने की जरुरत है फूट डालने वाले भड़काने वाले अभियान में विघ्न डालने वालो को पहचानिये और उन्हें दूर से नमस्कार करिये मित्रो आने वाला एक वर्ष विकलांग जनो के लिए एक नया इतिहास लिखेगा हम जीतेंगे अपनी लड़ाई
विकलांग जन आजादी के समय से आज तक छले गए है विकलांग जनो के अधिकारो के लिए भारत देश में कई विकलांग समाजसेवी रातदिन कार्य कर रहे उन सबको सलाम उनकी मेहनत लगन को सलाम मित्रो बस अब आप कमर कस लीजिये अपने आस पास के विकलांग जनो को एकत्र कीजिये उन्हें जागरूक बनाइये और तैयार कीजिये विकलांग सेना
जयहिंद विकलांग एकता जिंदाबाद

सोमवार, 8 दिसंबर 2014

विकलांग जन की एकता

प्रिय मित्रो विकलांग जनो की हालात आज दयनीय से दयनीय होती जा रही है कहने को तो कानून ही कानून ही विकलांगजनो के लिए पर सच बताईये क्या किसी का एक प्रतिशत लाभ भी मिल रहा जरा गौर करिये किसी और वर्ग के लिए अलग नियम बनते ही लागू और लाभ मिलना शुरू चाहे sc st एक्ट हो महिला से सम्बंधित कानून हो परन्तु विकलांग जनो को अपने लिए ही बने कानून को लागू करवाने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ता है जैसे कल हमारे मित्र और विकलांग अधिकारो के प्रति संघर्षरत श्री बलराज विश्नोई जी ने कहा की विकलांगो को मिला है तो आश्वासन पर आश्वासन और तारीख पर तारीख मैं सहमत हूँ उनकी बात से आप बताईये सरकार विकलांगो के प्रति इतनी उदासीन क्यों है क्यों नही गंभीरता से लेती विकलांग जनो को ,मित्रो सबसे बड़ा कारण हम आप ही हैं मित्रो हम कब समझेंगे की हम अलग अलग कुछ भी नही कर सकते कुछ भी हासिल नही होगा हर कोई अपनी ढपली अपना राग करेगा तो क्या होगा हर किसी का अपना मापदंड अपना तरीका अपना संगठन तो विकलांग कहा गए विकलांगो का एकीकरण कहा गया मित्रो आज जरूरत है एक होने की किसी और के लिए नही अपने लिए तो एक हो जाइए अपने अपने संगठन चलिए अपनी नीतियां भी चलिए पर विकलांगो के कल्याण के राष्ट्रव्यापी मुद्दों पर तो अपना स्वार्थ और मेरा पराया छोड़ सकते है उत्तराखंड के संदीप अरोरा जी विकलांग अधिकारो के प्रति समर्पित है उन्हें भी इस बात का मलाल है मित्र हर वो विकलांग जो अपने अधिकारो को चाहता है वो एकता के पक्ष में है बस जरूरत है हमे आपको आगे बढ़ कर कार्य करने की वरना उनके पास तो 10 लोग है उनके पास तो 100 है मेरे पास हज़ार है इसी में हम फसे रह जायेंगे मित्रो सब हमारे है हम सबके है ये ठान लीजिऐ
आईये एक साथ हुंकार भरे विकलांग एकता जिंदाबाद

बुधवार, 3 दिसंबर 2014

हल्ला बोल

शर्म ....शर्म..... शर्म....ऐसी व्यवस्था ऐसी शासन प्रणाली पर शर्म आती है हमें कल जब विकलांग दिवस था और सरकार विकलांगो के कल्याण का ढिढोरा पिट रही थी ठीक उसी समय हमारे विकलांग भाई सरकारी उत्पीडन का शिकार हो के धक्के और लाठियां खा रहे थे विहार में राज्यपाल से मिलने जा रहे विकलांगो को रोका गया और बल प्रयोग करके सरकारी धाक दिखाने का प्रयास किया गया विकलांग जन कल से वहां अमरण अनशन पर बैठे है किसी भी राजनेता ने उनकी सुध नही ली और सब के सब तथाकथित विकलांग दिवस के कार्यक्रम में व्यस्त रहे दूसरी और राजधानी दिल्ली में दृष्टिहीन विकलांग भाई बहनों पर प्रशासन का कहर बरपाया गया उन्हें घसीटा और पीटा गया और सरकारी विकलांग दिवस के कार्यक्रम में सरकारी अमला विकलांगो के लिए नई दुनिया बनाने का ख्वाब दिखाते रहे 
वही उत्तरप्रदेश में अपनी मांगों को लेकर निकले विकलांग जनों ने अपनी बात न सुने जाने पर जब विरोध प्रकट करना चाहा तो पुलिस द्वारा उनको दौड़ाया और पीटा गया उत्तराखंड में भी विकलांग जन अपनी मांगो को लेकर सडको पर सन्घर्ष करते नजर आये
आखिर कब तक विकलांग जनों का इस तरह शोषण किया जायेगा कब तक विकलांग जन चुप्पी साधे रहेंगे मित्रो अब हमे जगना होगा नही तो वो दिन दूर नही जब हम पूरी तरह सरकारी दमन द्वारा दबा दिए जायेंगे अब बस बहुत हुआ नही चाहिए तुम्हारी पेंशन, नहीं चाहिए तुम्हारे भीख में दिए उपकरण, नहीं चाहिए तुम्हारे सरकारी पुरस्कार, नही चाहिए तुम्हारे खोखले कानून ,नहीं चाहिए तुम्हारे झूठे वादे , बस अब चाहिए हमें अपना अधिकार .......अधिकार.......और बस अधिकार 
आप सभी विकलांग भाइयो बहनों से निवेदन है अब बस हल्ला बोल

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

विकलांग दिवस पर आह्वान

जागो अब विकलांग पुकारे हिन्दुस्तान
मत सहो अपमान पुकारे हिन्दुस्तान
होता रहा हैं अत्याचार नही मिला कोई अधिकार
शिक्षा नही मिली है हमको नही मिला कोई रोजगार
अधिकार हमारे हमको दो बोलो मुट्ठी तान पुकारे हिन्दुस्तान
जागो अब............
बैसाखी पेंशन के चक्कर में रोजी रोटी भूल गए 
तिरस्कार मिला हमेशा जब भी हम स्कूल गए
पढना लिखना हम भी चाहे और बनना विद्वान पुकारे हिन्दुस्तान
जागो अब ...........
विकलांगो के नाम पर कईयों को रोजी रोटी चलती है 
बेदर्द ये दुनिया हमको हर इक मोड़ पर छलती है
बेईमानी को नही सहेंगे भागेगा बेईमान पुकारे हिन्दुस्तान
जागो अब.........
राजनीति में आरक्षण की मांग बहुत पुरानी है 
पंचायत से संसद तक खुद अपनी नीति बनानी है
सपने अपने करने पूरे तो लगा दो पूरी जान पुकारे हिन्दुस्तान
जागो अब............

शनिवार, 29 नवंबर 2014

विकलांग दिवस का सच

विकलांग दिवस 3 दिसम्बर 2014 पर विशेष
क्या रखा है आप बताओ विकलांग दिवस मनाने में
मिल पाया है अधिकार भी कितना हमको आज ज़माने में
पेंशन का लालीपाप दिया है उपकरणों का चाकलेट
सारा अमला लगा हुआ है विकलांगो को बहकाने में
अब भी नही मिला हैं हमको कोई भी अपना अधिकार
दया की पेंशन बंद कीजिये हमें दीजिये अब रोजगार 
शिक्षा से भी वंचित हैं हम शिक्षक भी उपलब्ध नही
लज्जा आती है हमको अपनी दशा बताने में 
क्या रखा है ........
Pwd एक्ट बना है पिछले 19 सालो से 
उपयोगिता पर प्रश्नचिंह खड़ा है घिरा है कई सवालो में
न्यायपालिका भी कहती है एक्ट नही छलावा है
सरकार भी बिलकुल बिफल रही लागु इसको कर पाने में
क्या रखा हैं..........
अब समय है मिल कर साथ, जागे और जागाये 
अज्ञानता का मिटा अँधेरा अपनी मशाल जलाये
NPDRD का नारा है कि हम एक मंच पर आ जाए 
हम सब मिलकर जुट जाए अपना कर्तव्य निभाने में
क्या रखा है ..............
देवानन्द शर्मा 
राष्ट्रीय संयोजक 
राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

विकलांगजनो की राजनैतिक भूमिका हिस्सेदारी व भागीदारी

राजनीति का नाम लेते ही जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे वादे इरादे याद आने लगते है कोई अगड़ो का नेता कोई पिछडो का नेता कोई महिला नेत्री तो कोई अल्पसंख्यक नेता और हाँ उससे आगे भी जाट कोई गुर्जर कोई मराठा कोई तमिल नेता वाह हर समुदाय वर्ग के नेता जी है भारत देश में और उन्हें अवसर भी आरक्षण भी है की हर किसी को भागीदारी मिल सके क्या कहा आपने विकलांग जन की राजनैतिक भागीदारी अरे क्या कह दिया भाई आपने ये लोग जो स्वयं ही पीड़ितो सा जीवन जी रहे वो राजनीति करेंगे ?
क्या बात कही इन्हें तो 300 कही कही 500 ,1000 तक पेंशन(दया रूपी भीख) मिल रही सरकारी संस्थाए उपकरण बाँट रही (अरे 60% धन खा ले रही तो क्या हुआ उनको भी तो हिस्सा चाहिए) विकलांगो को नौकरी दी जा रही (आपको नही मिली तो गलती आपकी) और हां देखो तुम्हारे कितने भाई नौकरी कर रहे(चाहे रोज ही जलालत सहना पड़ रहा हो) फिर भी तुम सब चिल्लपों कर रहें हो लगता है राजनैतिक महत्वाकांक्षा जाग गयी है नेता बनने का शौक चढ़ गया है अरे चुपचाप क्यों नही पड़े रहते हमारे रहमोकरम पर
विकलांग जनों के राजनैतिक भागीदारी की बात आज जब उठ रही है तो उपरोक्त वार्तालाप आपको जरुर सुनाई देंगे मित्रो आजादी के बाद से विकलांग जनों को सुबिधा देने और समाज की भागीदारी देने के लिए सरकार ने तथाकथित कई कदम उठाए है पर जरा विचार करिए की आज धरातल पर हमें उसका कितना लाभ मिला है क्या आज विकलांग जन अपने आप में सक्षम है ?क्या सामजिक स्थिति अन्य नागरिको के बराबर हैं ? क्या विकलांग जनो को प्रत्येक क्षेत्र में उचित भागीदारी हिस्सेदारी मिली है ? क्या आज जो विकलांग जन किसी तरह नौकरी में आ गए है वो खुश हैं ? क्या आज हम एक राजनैतिक ,सामाजिक,आर्थिक रूप से मजबूत हो पाए है ?
इन सभी सवालो का जबाब आप भी खोजिये और अन्य मित्रो से भी मांगिए जल्द ही इसके आगे की बात लेकर आपके बीच फिर आऊंगा और वादा है कि आपके विचारो को भी जरुर शामिल करूँगा आपके नाम के साथ

शनिवार, 15 नवंबर 2014

विकलांगजनों पर सरकार की मेहरबानी...

विकलांगजनो पर सरकार इतनी मेहरबान है कि
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कि लिखने को शब्द नही क्षमा करें ।

शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

विकलांग तन की व्यथा मन से.........

"अरे आप तो विकलांग हैं ओहो बेचारे" शब्द सुनते ही कानो में शीशा सा पिघलता महसूस होता है लगता है की शब्द नही बाण है जो पूरे बदन को छलनी कर देता है लोगो का इस तरह बेचारगी की निगाह से देखना कितना कष्ट देता है एक विकलांग इसे अच्छे से समझ सकता है बचपन से ही विकलांग जन या तो तिरस्कार पाते है या फिर सामान्य बच्चो से अलग विशेष देख रेख में पलते है हम उम्र के बच्चे भी कभी चिढाते है तो कभी बेचारा समझ के उपहास करते है विकलांग तन कई मौते रोज मर के भी अपने को  बारबार सम्हालता है लोगो के उपहास पर हस कर अपने गीली आँखों को छिपा लेता है एक पैर से विकलांग भाई जब  किसी को चलता हुआ दौड़ता हुआ देखते है तो एक बार उनके मन से पूछिये की कितने लालयित होते है वो भी इस तरह चलने के लिए, एक मूक भाई अपनी बात बोलने के लिए कितना बेचैन होते है दिल की सारी ख्वाहिसे निकाल देने के लिए ऐसे ही बधिर भाई दुसरो की बात विचार सुनने को उत्सुक होते है मित्रो दुनिया रंगीन है और खुबसुरत भी पर वो विकलांग भाई जो  नेत्रहीन है उनसे पूछिये दिल में कितनी तड़फ होती है सब कुछ देखने की
मित्रो आज जरूरत है की हर एक विकलांग हर तरह के विकलांग का सहारा बने आपस में एक दुसरे की विकलांगता को बाट ले और अपने को किसी से कम न समझे हम विकलांग तन से है मन से नही भाई हम विकलांग है तो इसमें हमारी क्या गलती है क्यों समाज हमें उस गलती की सजा देता है जो हमने की ही नही बस बहुत हुआ भाई अब विकलांग जनों को भी सम्मान से जीने दीजिये देश जितना आपका है उतना ही हमारा भी अब विकलांग जन अपने अधिकार के प्रति सजग हो रहे अब आप हमें गुमराह नही कर सकते भाई हम समाज से वैर नही चाहते हम केवल बराबरी का हक चाहते है और वो तो हम लेकर रहेंगे सरकार को समझना पड़ेगा की वैशाखी, पेंशन और कान की मशीन बाटकर अपने कर्तव्य को पूरा कर लेने का रवैया अब छोड़ना होगा और सरकार तभी जागेगी जब हम आपस के विवाद छोड़ कर एकसाथ एक मंच पर आयेंगे तो आईये हाथ बढाइये

मंगलवार, 11 नवंबर 2014

मूक बधिर विकलांग जनों को वाहन चालन प्रमाणपत्र (Driving License)

आज बात करते है अपने मूक बधिर भाई बहनों के लिए driving license दिए जाने के संदर्भ में भारत सरकार के परिवहन विभाग का मानना है की जो व्यक्ति सुन नहीं सकता उसे driving license नही दिया जा सकता क्योकि इससे दुर्घटना हो सकती है  भाई एक बात समझ में नही आती की विकलांगो के लिए नीतियाँ बनता कौन है और विकलागो के नाम पर रोटियाँ सेकने वाली तथाकथित NGO सरकार की इस दोहरी नीति का विरोध क्यों नही करती है क्या विकलांग जनों को भारत देश में समानता के अधिकार से वंचित कर दिया गया है या फिर उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मान लिया गया है अब बात करते है मुद्दे की
सरकार का कहना है की मूक बधिर को driving license देने से दुर्घटना बढ़ेगी जबकि सर्वविदित है की 100% दुर्घटना असावधानी और तेज गति से वाहन चलाने के कारण होती है सरकार का कहना है की जो सुन नही सकते वो वाहन चलाने के योग्य नही है तो सरकार जी आज देश की 60% गाड़िया लग्जरी वातानुकूलित है शीशा बंद करके ही चलती है उनके चालक को बाहर की आवाज से कोई मतलब नही होता तो एक तरह से वो भी बधिर हुए फिर ऐसी सारी गाडियों के चलने पर रोक लगा दीजिये 90% गाडियों में म्यूजिक सिस्टम लगे होते है शीशा बंद गाना चालू निगाह सड़क पर और चल रही आराम से गाड़ी, तो सरकार को सारी गाडियों के म्यूजिक सिस्टम और शीशे भी निकलवा देना चाहिए सरकार विकलांगता का बहाना करके विकलांगजनों को सदैव कृपापात्र बना कर रखना चाहती है आप सोचिये कोई सामान्य चालक गाड़ी कैसे चलाता है अपनी गाड़ी के बगल के शीशे में पीछे आ रही गाड़ी को देख कर,  ट्रैफिक लाइट के सिग्नल को देख कर, आवागमन के प्रतिको को देख कर, सामने सड़क पर ध्यान से देख कर न की हार्न सुन कर या बाहर का शोर सुन कर तो जब एक सामान्य चालक मुख्य रूप से देख कर गाड़ी चलाता हैं तो एक मूक बधिर जो देखने में पूर्णरूप से सक्षम है उन्हें driving license क्यों नही आज विश्व के अग्रणी देश अमेरिका फ़्रांस जर्मनी में मूक बधिर को driving license दिया जा रहा तो भारत में क्यों नही क्या भारत में विकलांगजनो को देश के आम नागरिको के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलने का हक़ नही है सरकार जी मूक बधिर जनों को driving license अविलम्ब जारी करने का आदेश अपने परिवहन विभाग को दीजिये क्या विकलांगजनो को हर बार अपने हक को पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की ही जरुरत पड़ेगी ?

सोमवार, 10 नवंबर 2014

विकलांगो के प्रति सरकार का नजरिया

आज विकलांग जनों के प्रति सरकार का नजरिया क्या है ये समझना बहुत जरुरी है देश को आजाद हुए लगभग 67 साल हो गए पर क्या विकलांग जन आज वास्तव में आजाद हैं? क्या आम नागरिको के बराबर हक सुबिधा है ? क्या देश के निर्माण में विकलांगो की पूर्ण भागीदारी है ? आईये बिन्दुवार समझते हैं
1- आज जब देश में डिजिटल क्रांति की बात हो रही है ऑनलाइन विकास की बात हो रही है तो आज भी विकलांग जन को एक अदद प्रमाण पत्र के लिए अस्पताल के बाबुओं के चक्कर क्यों लगाने पड़ रहे क्यों नही ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे
2-देश में BPL APL की सूची है पर पुरे देश के विकलांग जनों का कोई राष्ट्रीय डाटा क्यों नही है
3-देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है फिर विकलांग जनों के लिए प्रत्येक विधालय में स्थाई विशेष शिक्षक की व्यवस्था क्यों नही है
4-विकलांग जनों को सरकार तथाकथित पेंशन देती है वो पेंशन विकलांग जनों के लिए कितनी लाभप्रद है कभी इसकी समीक्षा की गयी क्या एक छोटे से प्रस्ताव को लाकर अपना भत्ता बढ़ा लेने वाले हमारे जनप्रतिनिधि भी इस पर खामोश है क्यों ?
5-सरकार विकलांग के कल्याण के लिए तमाम योजनाएं घोषित करती रही है पर क्या कभी देखा गया की इन का कितना लाभ पात्र विकलांगो को मिलता हैं
6-क्या विकलांग जन सरकार की नजर में केवल दीन हीन दया के पात्र भर है जिनको आश्वासन की चटनी दे कर मलाई दुसरो की थाली में परोस दिया जाता है
7-विकलांग जन को राजनैतिक अवसर से सदैव वंचित रखा गया है क्यों देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में विकलांगो के लिए अवसर है क्या उनका अलग प्रकोष्ठ है क्या  अगर कही है भी तो विकलांगो को कितनी भागीदारी मिली है

रविवार, 9 नवंबर 2014

आईये जाने कौन है हमारे मंत्रीगण

किस मंत्री को कौन सा विभाग
नरेंद्र मोदी : प्रधानमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष के साथ वे सभी विभाग जो किसी को आवंटित नहीं हैं।
कैबिनेट मंत्री
1-राजनाथ सिंह : गृह
2-सुषमा स्वराज : विदेश
3-अरुण जेटली : वित्त और सूचना एवं प्रसारण
4-वेंकैया नायडू : शहरी विकास व संसदीय कार्यमंत्री
5-नितिन गडकरी : सड़क परिवहन व जहाजरानी
6-सुरेश प्रभु : रेलवे
7-सदानंद गौड़ा : कानून
8-उमा भारती : जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार
9-नजमा हेपतुल्ला : अल्पसंख्यक
10-मनोहर पार्रिकर : रक्षा
11-रामविलास पासवान : उपभोक्ता
12-कलराज मिश्रा : सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग
13-मेनका गांधी : महिला एवं बाल कल्याण
14-अनंत कुमार : रसायन एवं उर्वरक
15-रविशंकर प्रसाद : संचार एवं आइटी
16-जेपी नड्डा : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
17-अशोक गजपति राजू : नागरिक उड्डयन
18-अनंत गीते : भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम
19-हरसिमरत कौर बादल : खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
20-नरेंद्र सिंह तोमर : खनन एवं इस्पात
21-चौधरी बीरेंद्र सिंह : ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल एवं स्वच्छता
22-जुएल उरांव : आदिवासी कल्याण
23-राधामोहन सिंह : कृषि
24-थावर चंद गहलोत : सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता
25-स्मृति ईरानी : मानव संसाधन विकास
26-हर्षवर्धन : विज्ञान एवं तकनीक
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
1-जनरल वीके सिंह : सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं विदेश राज्यमंत्री
2-राव इंद्रजीत सिंह : योजना एवं रक्षा राज्य मंत्री
3-संतोष कुमार गंगवार : कपड़ा
4-बंडारू दत्तात्रेय : श्रम एवं नियोजन
5-राजीव प्रताप रूड़ी : कौशल विकास एवं उद्यमिता और संसदीय कार्य राज्य मंत्री
6-श्रीपद नाइक : आयुष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री
7-धर्मेंद्र प्रधान : तेल व प्राकृतिक गैस
8-सर्वानंद सोनोवाल : खेल एवं युवा
9-प्रकाश जावड़ेकर : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन
10-पीयूष गोयल : ऊर्जा, कोयला एवं अक्षय ऊर्जा
11-डॉक्टर जितेंद्र सिंह : पूर्वोत्तर विकास एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, पेंशन और परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष विकास राज्यमंत्री
12-निर्मला सीतारमण : वाणिज्य एवं उद्योग
13-डॉक्टर महेश शर्मा : पर्यटन व संस्कृति और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री
राज्यमंत्री
1-मुख्तार अब्बास नकवी : अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य
2-रामकृपाल यादव : पेयजल एवं स्वच्छता
3-एचपी चौधरी : गृह
4-सांवरलाल जाट : जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार
5-मोहन भाई कल्याण भाई कुंदरिया : कृषि
6-गिरिराज सिंह : सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम
7-हंसराज गंगाराम अहीर : रासायन एवं उर्वरक
8-जीएम सिद्देश्वर : भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम
9-मनोज सिन्हा : रेलवे
10-निहालचंद : पंचायती राज
11-उपेंद्र कुशवाहा : मानव संसाधन विकास
12-पी राधाकृष्णन : सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी
13-किरन रिजिजू : गृह
14-कृष्णपाल गुर्जर : सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण
15-संजीव कुमार बालियान : कृषि
16-मनसुख भाई धांजी भाई वासव : आदिवासी विकास
17-राव साहब दादाराव दानवे : उपभोक्ता, खाद्य एवं जनवितरण
18-विष्णु देव साई : खनन एवं इस्पात
19-सुदर्शन भगत : ग्रामीण विकास
20-रामशंकर कठेरिया : मानव संसाधन विकास
21-वाईएस चौधरी : विज्ञान एवं तकनीक
22-जयंत सिन्हा : वित्त
23-कर्नल राज्यवद्र्धन सिंह राठौड़ : सूचना एवं प्रसारण
24-बाबुल सुप्रियो : शहरी विकास, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन
25-साध्वी निरंजन ज्योति : खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
26-विजय संपाला : सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता