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गुरुवार, 5 नवंबर 2015

विकलांग दिवस पोल खोल भाग 2

विकलांग दिवस पोल खोल भाग-2

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1981 से 1991 के दशक को विकलांगता जागरूकता दशक के रूप में मनाया उसके बाद 1992 से प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाया जाता है |  अगर मैं कहूँ कि इस दिन को  "प्रायोजित विकलांगता उत्सव “ कहा जाए तो निश्चित ही अनेक लोगों को इस पर आपत्ति होगी , मगर यही सच है |  ऐसा सच जो विकलांगों की बैशाखियों के सहारे धीरे-धीरे चलकर अधिकारियों के लिए उत्सव बन जाता है  | विकलांग मेला, विकलांग गोष्ठी ,तथा विकलांगता प्रदर्शन , इस सबमे विकलांग कहाँ है ? किसी मंच पर किसी कोने में  , गोष्ठी में स्तब्ध सा ,किसी योजना के क्रियान्वयन में नहीं ,तो फिर कहाँ है विकलांग ? अरे वहीँ तो था -सामने बैठी भीड़ में , किसी दूकान में काउंटर के पीछे , या फिर विकलांगों की दौड़ में , जिसमे एक विकलांग दुसरे विकलांग से जीतेगा और हम ताली बजायेंगे ,  कुछ सम्मान देंगे , प्रमाण पत्र देंगे , कुछ घोषणाएँ करेंगे जो शायद कभी पूरी भी नहीं होंगी , परिणामत: कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों को कमाई का एक और रास्ता |   जी हाँ यही सच है विकलांगता दिवस का
अच्छा विकलांग दिवस का प्रमुख लक्ष्य या उद्देश्य क्या था विकलांग व्यक्तियों के लिए बेहतर समझ कायम करना, उनके अधिकारों का संरक्षण, उन्हें सामजिक , राजनैतिक , आर्थिक व सांस्कृतिक बराबरी दिलाना पर हुआ क्या ऐसा बिल्कुल नही फिर विकलांग दिवस का क्या औचित्य  इस दिन हम खुश होने का ढिढोरा क्यों पीटे महिला दिवस पर देश की महिलाये अपने हक की आवाज उठा सकती है मजदूर दिवस पर मजदूर साथी अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं फिर हम विकलांग जन विकलांग दिवस पर अपने हक की आवाज क्यों नही उठा सकते
2014 में भारत सरकार व विभिन्न प्रदेश सरकारो द्वारा करोडो का बजट विकलांग दिवस मनाने के लिए खर्च किया गया उस वर्ग के लिए जो आज भी 300(पेंशन) में महीना गुजारने को मजबूर हैं घर की बाहरी दीवार को रँगने से काम नही चलेगा नींव की ईट मजबूत करनी होगी । दिखावा नही अधिकार चाहिए दया नही समानता चाहिए फिर चुप क्यों रहे
विकलांग दिवस की पोल खोल
विकलांग जन हल्ला बोल हल्ला बोल

शेष अगली कड़ी में .......
देवानंद शर्मा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच
09990889315
npdrd1@gmail.com

विकलांग दिवस पोल खोल भाग 1

विकलांग दिवस की पोल खोल 1-
मित्रो इस विकलांग दिवस 3 दिसम्बर को हम सबने तय किया हैं की हम अपने हक अधिकार की आवाज उठायेगे विकलांग दिवस के पीछे का काला सच सबके सामने लाएंगे इसकी पोल खोल कर रहेंगे ज्यादा पीछे न जाते हुए हुए शुरू करते हैं 2013 में दिए गए राष्ट्रीय आवार्ड से
Low Vision महिला श्रेणी Leprosy Cured में महिला पुरुष श्रेणी Hearing Impairment में महिला श्रेणी Mental illness महिला पुरुष श्रेणी Autism महिला पुरुष श्रेणी  Multiple Disabilities महिला पुरुष श्रेणी में
Best Employer
(i) Government organization
(ii) Public Sector श्रेणी में सरकार का कहना हैं की कोई आवेदन ही नही मिला इस लिए पुरस्कार नही दिए गए उससे भी ज्यादा हास्यपद बात ये रही की विकलांग जनो के लिए बाधामुक्त वातावरण का विशेष पुरस्कार जो किसी सरकारी विभाग को दिया जाना था वो नही दिया गया ।
अब आते हैं असली मुद्दे पर आपने कभी सुना है की महिला दिवस मजदुर दिवस किसान दिवस जैसे सैकड़ो दिवस को दिए जाने वाले किसी भी श्रेणी का पुरस्कार इसलिए न दिया गया हो की आवेदन नही आया फिर विकलांग दिवस पर ही ऐसा क्यों क्या 2013 में कोई भी विकलांग कर्मचारी इस पुरस्कार के लिए पात्र ही नही था क्या जिन श्रेणियों में सरकार ने आवेदन न आने की बात की हैं उन श्रेणियों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विकलांग जन नही हैं एक नही हजारो हैं पर विकलांग दिवस पर सरकार की नीति सम्मानित करना नही ढिढोरा पीटना होता हैं जिस देश की आबादी का 10 से 14 प्रतिशत विकलांग जन हैं वहां राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार इस लिए न दिए जाए की आवेदन नही आया तो ये शर्म की बात हैं सरकार ने बाधा रहित वातावरण बनाने के लिए सरकारी महकमे को दिया जाने वाला पुरस्कार भी नही दिया इस आधार पर की आवेदन नही आया अब तो पूरी व्यवस्था पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया 1995 में Pwd एक्ट बना 18 साल बाद भी ऐसा की कोई विभाग नही मिला जिसे बाधा रहित वातावरण का पुरस्कार दिया जाय तो फिर किस मुहँ से सरकार विकलांग जनों के समानता हक अधिकार की बात करती हैं इसीलिए अब बस चुप नही रहेंगे ये विकलांग दिवस पोल खोल की पहली कड़ी हैं इस माह भर कई कड़ियों में आप विकलांग दिवस की सच्चाई से रूबरू होंगे
अभी तो फ़िल्म बाकी हैं मेरे दोस्त....

विकलांग दिवस की पोल खोल
विकलांग जन हल्ला बोल हल्ला बोल

देव शर्मा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच
09990889315
npdrd1@gmail.com