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शनिवार, 29 नवंबर 2014

विकलांग दिवस का सच

विकलांग दिवस 3 दिसम्बर 2014 पर विशेष
क्या रखा है आप बताओ विकलांग दिवस मनाने में
मिल पाया है अधिकार भी कितना हमको आज ज़माने में
पेंशन का लालीपाप दिया है उपकरणों का चाकलेट
सारा अमला लगा हुआ है विकलांगो को बहकाने में
अब भी नही मिला हैं हमको कोई भी अपना अधिकार
दया की पेंशन बंद कीजिये हमें दीजिये अब रोजगार 
शिक्षा से भी वंचित हैं हम शिक्षक भी उपलब्ध नही
लज्जा आती है हमको अपनी दशा बताने में 
क्या रखा है ........
Pwd एक्ट बना है पिछले 19 सालो से 
उपयोगिता पर प्रश्नचिंह खड़ा है घिरा है कई सवालो में
न्यायपालिका भी कहती है एक्ट नही छलावा है
सरकार भी बिलकुल बिफल रही लागु इसको कर पाने में
क्या रखा हैं..........
अब समय है मिल कर साथ, जागे और जागाये 
अज्ञानता का मिटा अँधेरा अपनी मशाल जलाये
NPDRD का नारा है कि हम एक मंच पर आ जाए 
हम सब मिलकर जुट जाए अपना कर्तव्य निभाने में
क्या रखा है ..............
देवानन्द शर्मा 
राष्ट्रीय संयोजक 
राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

विकलांगजनो की राजनैतिक भूमिका हिस्सेदारी व भागीदारी

राजनीति का नाम लेते ही जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे वादे इरादे याद आने लगते है कोई अगड़ो का नेता कोई पिछडो का नेता कोई महिला नेत्री तो कोई अल्पसंख्यक नेता और हाँ उससे आगे भी जाट कोई गुर्जर कोई मराठा कोई तमिल नेता वाह हर समुदाय वर्ग के नेता जी है भारत देश में और उन्हें अवसर भी आरक्षण भी है की हर किसी को भागीदारी मिल सके क्या कहा आपने विकलांग जन की राजनैतिक भागीदारी अरे क्या कह दिया भाई आपने ये लोग जो स्वयं ही पीड़ितो सा जीवन जी रहे वो राजनीति करेंगे ?
क्या बात कही इन्हें तो 300 कही कही 500 ,1000 तक पेंशन(दया रूपी भीख) मिल रही सरकारी संस्थाए उपकरण बाँट रही (अरे 60% धन खा ले रही तो क्या हुआ उनको भी तो हिस्सा चाहिए) विकलांगो को नौकरी दी जा रही (आपको नही मिली तो गलती आपकी) और हां देखो तुम्हारे कितने भाई नौकरी कर रहे(चाहे रोज ही जलालत सहना पड़ रहा हो) फिर भी तुम सब चिल्लपों कर रहें हो लगता है राजनैतिक महत्वाकांक्षा जाग गयी है नेता बनने का शौक चढ़ गया है अरे चुपचाप क्यों नही पड़े रहते हमारे रहमोकरम पर
विकलांग जनों के राजनैतिक भागीदारी की बात आज जब उठ रही है तो उपरोक्त वार्तालाप आपको जरुर सुनाई देंगे मित्रो आजादी के बाद से विकलांग जनों को सुबिधा देने और समाज की भागीदारी देने के लिए सरकार ने तथाकथित कई कदम उठाए है पर जरा विचार करिए की आज धरातल पर हमें उसका कितना लाभ मिला है क्या आज विकलांग जन अपने आप में सक्षम है ?क्या सामजिक स्थिति अन्य नागरिको के बराबर हैं ? क्या विकलांग जनो को प्रत्येक क्षेत्र में उचित भागीदारी हिस्सेदारी मिली है ? क्या आज जो विकलांग जन किसी तरह नौकरी में आ गए है वो खुश हैं ? क्या आज हम एक राजनैतिक ,सामाजिक,आर्थिक रूप से मजबूत हो पाए है ?
इन सभी सवालो का जबाब आप भी खोजिये और अन्य मित्रो से भी मांगिए जल्द ही इसके आगे की बात लेकर आपके बीच फिर आऊंगा और वादा है कि आपके विचारो को भी जरुर शामिल करूँगा आपके नाम के साथ

शनिवार, 15 नवंबर 2014

विकलांगजनों पर सरकार की मेहरबानी...

विकलांगजनो पर सरकार इतनी मेहरबान है कि
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कि लिखने को शब्द नही क्षमा करें ।

शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

विकलांग तन की व्यथा मन से.........

"अरे आप तो विकलांग हैं ओहो बेचारे" शब्द सुनते ही कानो में शीशा सा पिघलता महसूस होता है लगता है की शब्द नही बाण है जो पूरे बदन को छलनी कर देता है लोगो का इस तरह बेचारगी की निगाह से देखना कितना कष्ट देता है एक विकलांग इसे अच्छे से समझ सकता है बचपन से ही विकलांग जन या तो तिरस्कार पाते है या फिर सामान्य बच्चो से अलग विशेष देख रेख में पलते है हम उम्र के बच्चे भी कभी चिढाते है तो कभी बेचारा समझ के उपहास करते है विकलांग तन कई मौते रोज मर के भी अपने को  बारबार सम्हालता है लोगो के उपहास पर हस कर अपने गीली आँखों को छिपा लेता है एक पैर से विकलांग भाई जब  किसी को चलता हुआ दौड़ता हुआ देखते है तो एक बार उनके मन से पूछिये की कितने लालयित होते है वो भी इस तरह चलने के लिए, एक मूक भाई अपनी बात बोलने के लिए कितना बेचैन होते है दिल की सारी ख्वाहिसे निकाल देने के लिए ऐसे ही बधिर भाई दुसरो की बात विचार सुनने को उत्सुक होते है मित्रो दुनिया रंगीन है और खुबसुरत भी पर वो विकलांग भाई जो  नेत्रहीन है उनसे पूछिये दिल में कितनी तड़फ होती है सब कुछ देखने की
मित्रो आज जरूरत है की हर एक विकलांग हर तरह के विकलांग का सहारा बने आपस में एक दुसरे की विकलांगता को बाट ले और अपने को किसी से कम न समझे हम विकलांग तन से है मन से नही भाई हम विकलांग है तो इसमें हमारी क्या गलती है क्यों समाज हमें उस गलती की सजा देता है जो हमने की ही नही बस बहुत हुआ भाई अब विकलांग जनों को भी सम्मान से जीने दीजिये देश जितना आपका है उतना ही हमारा भी अब विकलांग जन अपने अधिकार के प्रति सजग हो रहे अब आप हमें गुमराह नही कर सकते भाई हम समाज से वैर नही चाहते हम केवल बराबरी का हक चाहते है और वो तो हम लेकर रहेंगे सरकार को समझना पड़ेगा की वैशाखी, पेंशन और कान की मशीन बाटकर अपने कर्तव्य को पूरा कर लेने का रवैया अब छोड़ना होगा और सरकार तभी जागेगी जब हम आपस के विवाद छोड़ कर एकसाथ एक मंच पर आयेंगे तो आईये हाथ बढाइये

मंगलवार, 11 नवंबर 2014

मूक बधिर विकलांग जनों को वाहन चालन प्रमाणपत्र (Driving License)

आज बात करते है अपने मूक बधिर भाई बहनों के लिए driving license दिए जाने के संदर्भ में भारत सरकार के परिवहन विभाग का मानना है की जो व्यक्ति सुन नहीं सकता उसे driving license नही दिया जा सकता क्योकि इससे दुर्घटना हो सकती है  भाई एक बात समझ में नही आती की विकलांगो के लिए नीतियाँ बनता कौन है और विकलागो के नाम पर रोटियाँ सेकने वाली तथाकथित NGO सरकार की इस दोहरी नीति का विरोध क्यों नही करती है क्या विकलांग जनों को भारत देश में समानता के अधिकार से वंचित कर दिया गया है या फिर उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मान लिया गया है अब बात करते है मुद्दे की
सरकार का कहना है की मूक बधिर को driving license देने से दुर्घटना बढ़ेगी जबकि सर्वविदित है की 100% दुर्घटना असावधानी और तेज गति से वाहन चलाने के कारण होती है सरकार का कहना है की जो सुन नही सकते वो वाहन चलाने के योग्य नही है तो सरकार जी आज देश की 60% गाड़िया लग्जरी वातानुकूलित है शीशा बंद करके ही चलती है उनके चालक को बाहर की आवाज से कोई मतलब नही होता तो एक तरह से वो भी बधिर हुए फिर ऐसी सारी गाडियों के चलने पर रोक लगा दीजिये 90% गाडियों में म्यूजिक सिस्टम लगे होते है शीशा बंद गाना चालू निगाह सड़क पर और चल रही आराम से गाड़ी, तो सरकार को सारी गाडियों के म्यूजिक सिस्टम और शीशे भी निकलवा देना चाहिए सरकार विकलांगता का बहाना करके विकलांगजनों को सदैव कृपापात्र बना कर रखना चाहती है आप सोचिये कोई सामान्य चालक गाड़ी कैसे चलाता है अपनी गाड़ी के बगल के शीशे में पीछे आ रही गाड़ी को देख कर,  ट्रैफिक लाइट के सिग्नल को देख कर, आवागमन के प्रतिको को देख कर, सामने सड़क पर ध्यान से देख कर न की हार्न सुन कर या बाहर का शोर सुन कर तो जब एक सामान्य चालक मुख्य रूप से देख कर गाड़ी चलाता हैं तो एक मूक बधिर जो देखने में पूर्णरूप से सक्षम है उन्हें driving license क्यों नही आज विश्व के अग्रणी देश अमेरिका फ़्रांस जर्मनी में मूक बधिर को driving license दिया जा रहा तो भारत में क्यों नही क्या भारत में विकलांगजनो को देश के आम नागरिको के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलने का हक़ नही है सरकार जी मूक बधिर जनों को driving license अविलम्ब जारी करने का आदेश अपने परिवहन विभाग को दीजिये क्या विकलांगजनो को हर बार अपने हक को पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की ही जरुरत पड़ेगी ?

सोमवार, 10 नवंबर 2014

विकलांगो के प्रति सरकार का नजरिया

आज विकलांग जनों के प्रति सरकार का नजरिया क्या है ये समझना बहुत जरुरी है देश को आजाद हुए लगभग 67 साल हो गए पर क्या विकलांग जन आज वास्तव में आजाद हैं? क्या आम नागरिको के बराबर हक सुबिधा है ? क्या देश के निर्माण में विकलांगो की पूर्ण भागीदारी है ? आईये बिन्दुवार समझते हैं
1- आज जब देश में डिजिटल क्रांति की बात हो रही है ऑनलाइन विकास की बात हो रही है तो आज भी विकलांग जन को एक अदद प्रमाण पत्र के लिए अस्पताल के बाबुओं के चक्कर क्यों लगाने पड़ रहे क्यों नही ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे
2-देश में BPL APL की सूची है पर पुरे देश के विकलांग जनों का कोई राष्ट्रीय डाटा क्यों नही है
3-देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है फिर विकलांग जनों के लिए प्रत्येक विधालय में स्थाई विशेष शिक्षक की व्यवस्था क्यों नही है
4-विकलांग जनों को सरकार तथाकथित पेंशन देती है वो पेंशन विकलांग जनों के लिए कितनी लाभप्रद है कभी इसकी समीक्षा की गयी क्या एक छोटे से प्रस्ताव को लाकर अपना भत्ता बढ़ा लेने वाले हमारे जनप्रतिनिधि भी इस पर खामोश है क्यों ?
5-सरकार विकलांग के कल्याण के लिए तमाम योजनाएं घोषित करती रही है पर क्या कभी देखा गया की इन का कितना लाभ पात्र विकलांगो को मिलता हैं
6-क्या विकलांग जन सरकार की नजर में केवल दीन हीन दया के पात्र भर है जिनको आश्वासन की चटनी दे कर मलाई दुसरो की थाली में परोस दिया जाता है
7-विकलांग जन को राजनैतिक अवसर से सदैव वंचित रखा गया है क्यों देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में विकलांगो के लिए अवसर है क्या उनका अलग प्रकोष्ठ है क्या  अगर कही है भी तो विकलांगो को कितनी भागीदारी मिली है

रविवार, 9 नवंबर 2014

आईये जाने कौन है हमारे मंत्रीगण

किस मंत्री को कौन सा विभाग
नरेंद्र मोदी : प्रधानमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष के साथ वे सभी विभाग जो किसी को आवंटित नहीं हैं।
कैबिनेट मंत्री
1-राजनाथ सिंह : गृह
2-सुषमा स्वराज : विदेश
3-अरुण जेटली : वित्त और सूचना एवं प्रसारण
4-वेंकैया नायडू : शहरी विकास व संसदीय कार्यमंत्री
5-नितिन गडकरी : सड़क परिवहन व जहाजरानी
6-सुरेश प्रभु : रेलवे
7-सदानंद गौड़ा : कानून
8-उमा भारती : जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार
9-नजमा हेपतुल्ला : अल्पसंख्यक
10-मनोहर पार्रिकर : रक्षा
11-रामविलास पासवान : उपभोक्ता
12-कलराज मिश्रा : सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग
13-मेनका गांधी : महिला एवं बाल कल्याण
14-अनंत कुमार : रसायन एवं उर्वरक
15-रविशंकर प्रसाद : संचार एवं आइटी
16-जेपी नड्डा : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
17-अशोक गजपति राजू : नागरिक उड्डयन
18-अनंत गीते : भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम
19-हरसिमरत कौर बादल : खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
20-नरेंद्र सिंह तोमर : खनन एवं इस्पात
21-चौधरी बीरेंद्र सिंह : ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल एवं स्वच्छता
22-जुएल उरांव : आदिवासी कल्याण
23-राधामोहन सिंह : कृषि
24-थावर चंद गहलोत : सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता
25-स्मृति ईरानी : मानव संसाधन विकास
26-हर्षवर्धन : विज्ञान एवं तकनीक
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
1-जनरल वीके सिंह : सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं विदेश राज्यमंत्री
2-राव इंद्रजीत सिंह : योजना एवं रक्षा राज्य मंत्री
3-संतोष कुमार गंगवार : कपड़ा
4-बंडारू दत्तात्रेय : श्रम एवं नियोजन
5-राजीव प्रताप रूड़ी : कौशल विकास एवं उद्यमिता और संसदीय कार्य राज्य मंत्री
6-श्रीपद नाइक : आयुष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री
7-धर्मेंद्र प्रधान : तेल व प्राकृतिक गैस
8-सर्वानंद सोनोवाल : खेल एवं युवा
9-प्रकाश जावड़ेकर : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन
10-पीयूष गोयल : ऊर्जा, कोयला एवं अक्षय ऊर्जा
11-डॉक्टर जितेंद्र सिंह : पूर्वोत्तर विकास एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, पेंशन और परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष विकास राज्यमंत्री
12-निर्मला सीतारमण : वाणिज्य एवं उद्योग
13-डॉक्टर महेश शर्मा : पर्यटन व संस्कृति और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री
राज्यमंत्री
1-मुख्तार अब्बास नकवी : अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य
2-रामकृपाल यादव : पेयजल एवं स्वच्छता
3-एचपी चौधरी : गृह
4-सांवरलाल जाट : जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार
5-मोहन भाई कल्याण भाई कुंदरिया : कृषि
6-गिरिराज सिंह : सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम
7-हंसराज गंगाराम अहीर : रासायन एवं उर्वरक
8-जीएम सिद्देश्वर : भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम
9-मनोज सिन्हा : रेलवे
10-निहालचंद : पंचायती राज
11-उपेंद्र कुशवाहा : मानव संसाधन विकास
12-पी राधाकृष्णन : सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी
13-किरन रिजिजू : गृह
14-कृष्णपाल गुर्जर : सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण
15-संजीव कुमार बालियान : कृषि
16-मनसुख भाई धांजी भाई वासव : आदिवासी विकास
17-राव साहब दादाराव दानवे : उपभोक्ता, खाद्य एवं जनवितरण
18-विष्णु देव साई : खनन एवं इस्पात
19-सुदर्शन भगत : ग्रामीण विकास
20-रामशंकर कठेरिया : मानव संसाधन विकास
21-वाईएस चौधरी : विज्ञान एवं तकनीक
22-जयंत सिन्हा : वित्त
23-कर्नल राज्यवद्र्धन सिंह राठौड़ : सूचना एवं प्रसारण
24-बाबुल सुप्रियो : शहरी विकास, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन
25-साध्वी निरंजन ज्योति : खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
26-विजय संपाला : सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता

निशक्तजन कर्मचारी महापंचायत 2014

मित्रो आज delhi में निशक्त जन कर्मचारियों की एक विशाल सभा श्री अमृत रेड्डी जी के प्रयास और सयोंजन में आयोजित की गयी पुरे देश के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और मुझे भी आमंत्रित अतिथि के रूप में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुया मित्रो ये कार्यक्रम अपने आप में एक अनोखा कार्यक्रम था मूक बधिर दृष्टिबाधित और अन्य विकलांग जन पुरे तन्मयता के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जुटे है सभी एक दुसरे की मदद करने क सहर्ष तैयार थे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री संतोष जी रुंगटा के दिशा निर्देश में कार्यक्रम ने अपनी सार्थकता साबित कर दी श्री आर0 के0 शर्मा जी ने सूत्रधार की ऐसी भूमिका निभाई जिससे अंत तक लोग कार्यक्रम से रुचिपूर्वक जुड़े रहे
कार्यक्रम के समापन के पश्चात् भोजन में भी आपसी सहयोग बारबार दिखाई देता रहा अंत में हमारी टीम के सदस्यों ने श्रीमान amruth reddy जी से भेट की साथ ही भविष्य में सहयोग व आपसी मेलमिलाप को बढ़ाने पर चर्चा की
एक बढ़िया और शानदार दिन आज ख़त्म हुआ अपने पीछे कई यादो को छोड़ कर