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शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

क्रांति का बिगुल जागो विकलांग भाई बहनो

"लफ्जों में टंकार बिठा, लहजे में खुद्दारी रखे,
जीने की खवाईश है तो, मरने की तैयारी रखे
सबके सुख में शामिल हो,दुख में साझेदारी रखे
पाठ विजय का पढ, युद्ध निरंतर जारी रखे"
प्रिय मित्रो कुछ वर्ष पूर्व तक विकलांग जन की भावनाओ से खिलवाड़ करना उनकी तौहीन करना सरेबाजार अपमानित कर देना भिक्षुक समझना ये आम बात थी परन्तु अब समय बदल रहा हैं विकलांगजनो के गले से भी हुंकार निकलने लगी हैं वो भी अपने हक़ अधिकार की बात करने लगे और उसके लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार भी है बहुत अच्छा मित्रो अब हमें जगना ही होगा अपने हक के लिए अपने भाईयो के हक लिए अपने आने वाली पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए, भाईयो आवाज दो हम एक हैं राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एव कर्तव्य मंच (पंजी0) के माध्यम से एक ऐसा मंच तैयार करने का प्रयास किया जा रहा जिसमे हर श्रेणी के विकलांग जन शामिल हो सके मित्रो आज हम 1000 हुए कल 10000 और फिर 1 लाख भी परन्तु अभी का समय बहुत नाजुक हैं पौधा लग चूका हैं  जड़ फोड़ कर नव अंकुर अपनी शाखाओ के साथ पुरे जोशोखरोस से अपने अभिनव सफर पर चलने को तैयार हैं बस अब जरुरत हैं हमको आपको मिलकर इस नवपौध को वट वृक्ष बनाने की, अपना पूरा जोर लगा दीजिये एक बार बस एक बार मिलकर इंकलाब करना हैं फिर देखिये कैसे हमारी समस्या कौन नहीं सुनता मित्रो ये क्रांति का बिगुल हैं अब सोने का समय नही अब समय हैं इस महायज्ञ में अपनी आहुति डालने का और अपने विकलांग भाई बहनो के लिए सर्वस्य अर्पण कर देने
हो के मायूस न यूँ शाम सा ढलते रहिये,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये,
एक ही पांव पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये..

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